एक अक्टूबर 2023 के बाद जन्मे बच्चों की अनिवार्य पहचान बनेगा जन्म प्रमाणपत्र

भारत सरकार ने 1 अक्टूबर 2023 के बाद नियम लागू किया

लखनऊ । प्रदेश में अव एक अक्टूबर 2023 के वाद जन्म लेने वाले सभी बच्चों की जन्मतिथि और जन्म स्थान निर्धारित करने के लिए केवल जन्म प्रमाण पत्र को ही मान्य दस्तावेज माना जाएगा। यह व्यवस्था भारत सरकार के निर्देश पर सख्ती से लागू की गई है। राज्य के निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस) के अनुसार प्रदेश में अब हर जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।

यह पंजीकरण उसी स्थान पर होगा जहां जन्म या मृत्यु की घटना घटी है। इसके लिए संबंधित रजिस्ट्रार नियुक्त किए गए है, जिनमें नगर निगमों के जोनल अधिकारी, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारी, सरकारी अस्पतालों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य उपकेंद्रों की एएनएम और ग्राम पंचायतों के ग्राम विकास अधिकारी शामिल है । विना शुल्क के पंजीकरण की सीमा घटना की तारीख से 21 दिन रखी गई है। 22 से 30 दिन के भीतर पंजीकरण पर दो रुपये का विलंब शुल्क और रजिस्ट्रार की अनुमति आवश्यक होगी। 31 दिन से एक वर्ष तक की देरी पर नगर क्षेत्रों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी और ग्रामीण क्षेत्रों में जिला पंचायत राज अधिकारी की अनुमति और पांच रुपये के शुल्क के साथ पंजीकरण होगा।

एक साल वाद की घटनाओं के पंजीकरण के लिए संबंधित उप जिलाधिकारी के आदेश और 10 रु पये के विलंब शुल्क की आवश्यकता होगी। सभी प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम को भी सूचनादाता घोषित किया गया है। उन्हें सूचनादाता आइडी दी गई है, जिनके माध्यम से वे आनलाइन जानकारी भेज सकते है । रजिस्ट्रार की अनुमति के वाद प्रमाण पत्र परिवार को दिया जाता है। एक फरवरी 2020 से भारत सरकार के निर्धारित पोर्टल (सीआरएसओआरजीआई.जीओवी.इन) के माध्यम से आनलाइन पंजीकरण अनिवार्यकर दिया गया है।

इसके अलावा किसी अन्य पोर्टल या हस्तलिखित प्रमाण पत्र को अवैध घोषित किया गया है। हालांकि यहां वताना जरूरी है कि पुराने प्रमाणपत्रों को रजिस्ट्रार द्वारा सीआरएस पोर्टल पर डिजिटल रूप में वदला जा सकता है। साथ ही आम नागरिक भी घर पर हुई जन्म या मृत्यु की सूचना 21 दिन के भीतर पोर्टल पर आनलाइन दे सकते है और प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकते है।

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